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    सफलता का पहला रास्ता motivational story for success in life in hindi -chutkula bazar

    *सफलता का पहला रास्ता motivational story for success in life in hindi 


    सफलता का पहला रास्ता motivational story for success in life in hindi -chutkula bazar
    सफलता का पहला रास्ता motivational story for success in life in hindi -chutkula bazar

    क गाँव में कोई कपडों में रंग करनें वाला था। उसके पास एक युवक कपडे पर रँग करानें आया। वो कपडा सफेद रंग का था, और उस पर काले रँग के कई धब्बे पडे हुए थे।

    वो युवक आ कर कपडे रंगने वाले से कहता है।
    ईस कपडे पर काला रंग चढ़ा दो जीससे ईस पर पडे काले दाग नीकल जाएँ,
    और यह कपडा पहननें लायक हो जाएं।

    कपडे रंगनें वाला बोला,
    भाई यह कपडा यहाँ छोड के जाओ, कल मैं ईसे धोकर, उस पर लगा मैल नीकाल के, फिर ईस पर कलर कर दुंगा। अगर मैं अएसे ही कलर करूंगा तो रंग उसपर ठीकसे चढेगा नहीं और धब्बे पड जाएंगे।

    यह थी एक सामान्य बात आपको समजानें के लिए। आप सभी जानते है की, मैले कपडों पर रंग कभी नहीं चढता और अगर फिर भी प्रयत्न किया जाए तो
    धब्बे पड जाऐंगे ।

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    मित्रों, यह तो थी सिर्फ आपको समजानें के लिए एक-दम सीधी-सादी बात।
    पर अगर यही गणित हम अगर अपनें जीवन में बीठानें की अनुसरण करनें की कोशिश करें तो कीतनें सलीके से कंपेर किया जा सकता है, यह आपनें कभी सोंचा है। जीस तरह मैले कपड़े पर रंग नहीं चढ़ सकता ठीक उसी तरह
    मैले मन पर अच्छे विचारों और संस्कारों, सद्दगुणों का रंग नहीं चढ सकता।
    मन का मैल दुर किए बिना, ना ही हम सफल हो सकते हैं और नाही ईश्वर के
    नीकट पहोंच सकते हैं।

    मन का मैल क्या है। मन का मैल है राग-द्वेष, ईर्ष्या, क्रोध, मान, माया, लोभ, प्रमाद और तृष्णा, ईन मैलों को मन से साफ किए बगैर नीकाले बीना कोई व्यकित सफलता सद्दगुण, और संस्कार में प्रवेश नहीं कर सकता, औ ना ही
    धर्म के नीकट नहीं जा सकता।

    अरे !! प्रवेश करना तो दुर है। परंतु जीसके मन में ये दुर्गुण हैं उससे सद्दगुण
    कोषों दुर रहेते हैं। ईसलिए मन को स्वच्छ और निर्मल कर ईसमें संस्कार, सद्दगुण और धार्मिकता का सिंचन किया जाए तो सफलता जरूर मीलेगी।
    अगर मन का मैल दुर करने के लिए बस एक ही शर्त है।की "जैसा जीवन आप चाहते हैं, उसके नजदीक जानें की कोशिश करें"

    सफल और धार्मिक जीवन जीनें और प्रभु तक पहोंचनें के लिए मन में निखालसता और नर्दोषता जरूरी है। लोभ और कपट जहां होता है वहां
    हंमेशा बात बिगड़ती है। ईसलिए मन का मैल दुर किए बिना, ना ही हम सफल हो सकते हैं और नाही ईश्वर के नीकट पहोंच सकते हैं।

    लेकिन वर्तमान स्थिती की बात नीराली है। जीवन के मुल्य ही बदल गए हैं
    आज-कल " भाव से ज्यादा क्रिया ज्यादा क्रिया का महत्व है। , संदरता से ज्यादा दिखावे का मुल्य ज्यादा है, रिस्तों से ज्यादा दिखावे का महेत्व बढ़ा है।
    ठिक ईसी तरह हमारे जीवन में वास्तविकता से ज्यादा दंभ का महत्व बढ गया है। "simple living and high thinking"  की भावना जो थी पहेले, ईससे
    हटके हम " high living and simple thinking"  वाला जीवन जीनें लग लए हैं। और हमारे समाज में दुर्गुणों ने पैर फैलाए हैं।

    जहां तक वर्तमान स्थिती और मन के विचारों में अंतर रहेगा तब तक स्थिती सुधारी नहीं जा सकती,  जब तक मन स्वच्छ नहीं होगा, हम ईश्वर को प्रिय नहीं हो सकते, और हमें सफलता हांसिल नहीं हो सकती और सद्दगुणो से कोषों दुर
    रहेंगे।


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